श्रीबाँके बिहारी मुझको देना सहारा कभी छूट जाए न दामन तुम्हारा
श्रीबाँके बिहारी मुझको देना सहारा कभी छूट जाए न दामन तुम्हारा
तेरे सिवा मन में आये न कोई
लगन का दीपक बुझाए न कोई
तू ही मेरी किश्ती है तू ही किनारा
कभी छूट जाए न दामन तुम्हारा
तेरे रास्ते से हटाती है दुनिया
इशारों से मुझको बुलाती है दुनिया
देखूँ न हरगिज़ इनका इशारा
कभी छूट जाए न दामन तुम्हारा
तेरे नाम का गान करता रहूँ मैं
सुबह-शाम तुमको रिझाता रहूँ मैं
तेरा नाम मुझको है प्राणों से प्यारा
कभी छूट जाए न दामन तुम्हारा
बड़ी भूल की जो मैं दुनिया में आया
मूल भी खोया और ब्याज भी गँवाया
दुनिया में प्यारे मुझको मिलना दुबारा
कभी छूट जाए न दामन तुम्हारा!
श्रीबाँके बिहारी मुझको देना सहारा कभी छूट जाए न दामन तुम्हारा